अर्जुन की निगाह थी टिकी मछली की आँख पर था जिसे भेदना उसे दिखाना था करतब पुरुषार्थ का चाहे जैसा भी हो लक्ष्य-भेद हिंसा तो होगी ही !
हिंदी समय में चंद्रेश्वर की रचनाएँ